Текст песни Jagjit Singh - Apne Karam Ki
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अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे नर मरे केछु काम ना आवे पशु मरे दस काज संवारे नर मरे केछु काम ना आवे पशु मरे दस काज संवारे अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे हाड़ जले जैसे लकड़ी का तूला केश जले जैसे घास का पुला हाड़ जले जैसे लकड़ी का तूला केश जले जैसे घास का पुला अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे कहे कबीर तब ही नर जागे जम का डंड मुंड में है लागे कहे कबीर तब ही नर जागे जम का डंड मुंड में है लागे अपने करम की गत मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे ए ए Смотрите также:
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Что я знаю, что я знаю о своем караме
Что я знаю, что я знаю о своем караме
Мужчина умер
Мужчина умер
Что я знаю, что я знаю о своем караме
Сжигание деревянных волосков Тулы, как трава
Сжигание деревянных волосков Тулы, как трава
Что я знаю, что я знаю о своем караме
Скажи, Кабир, только тогда мужчина пробуждается в мунде
Скажи, Кабир, только тогда мужчина пробуждается в мунде
Что ты знаешь о моей любви